सोमवार, 17 जून 2024

सुकून का आखिरी दिन



आप अपने जीवन से संतुष्ट थे | अपनी औकात से वाकिफ | क्या साध्य है क्या आसाध्य इससे परिचित | इच्छाएं तिलांजित किये हुए | 

फिर कोई मिल गया | चढ़ते सूरज के साथ नहीं मिला | तब मिला जब सूरज दोपहर के बाद ढलान पर था |   वो मिला तो उसने बड़े प्यार से कहा "आप  बुद्दू हो , एकदम पागल |आपको  पता ही नहीं रहा कि आप  क्या हो | क्या डिसर्व  करते हो| "

उसकी बात आपको  जँची | थेरेपिस्ट , लाइफ कोच आपको समझाते रहे | सालो साल समझाते रहे | सेल्फ एस्टीम , सेल्फ बिलीफ , पॉजिटिव अफर्मेशन वगैरह वगैरह | पर आप हमेशा अपने को कम आंकते रहे | सबसे मृदुल रहे पर खुद को हमेशा कठोर नज़र से देखा | किसी की बात आपको मुतमईन न कर सकी | 

पर उसकी बात आपको जँची !

ब्रेकफास्ट , लंच , डिनर का हिसाब लिया जाने लगा | आप फ़ोन ना करो तो सामने वाला परेशां होता |  शिकायतों का अम्बार  लगता | आप असहज होते |  वो यूँ कि आपको इस कदर देखभाल की आदत कहाँ रही | एक माँ और नानी केअलावा  आपको कब किसने पुचकारा  | हाँसिये पर लटके जीने की आपकी आदत रही | बेगौरी में पला ,कतार  में खड़ा आखिरी आदमी | जिसने होने न होने से किसी को कोई फर्क नहीं  पड़ता | पर उसने आपको एहसास कराया के  आप कोई बेशकीमती नगीना हैं  , जिस पर नज़र रखना बेहद जरूरी है | पहली बार आपने उसकी नज़रो में , उसकी आवाज़ में,  आपको खो देने का डर देखा | 


और फिर आप बह गए | इस कदर बहे कि कह बैठे "सुनो , हम तुम्हारे बिना रह नहीं सकते | प्रेम है तुमसे , बेहद प्रेम !"

बस वो दिन आपकी जिंदगी के सुकून का आखिरी दिन था | 

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