सोमवार, 30 जून 2014

डिज़ाइन में कुछ अंतर तो ज़रूर है!


भले ही बुद्धिजीवी ,समानतावादी समाज क्यों न बार बार स्त्री , पुरुष के समान होने के नारे लगाता  रहे , पर कुछ न कुछ अंतर तो प्रकृति ने ही बना छोड़ा है । जैनेटिक मेकअप में कुछ तो है जिसके फलस्वरूप  स्त्री व् पुरुष दिमाग के व्यवहारों में कुछ तो अंतर है । 

अपने पिछले सिंगापुर प्रवास के दौरान बड़ी चिंता  के साथ इस बात की कोशिश में लगा रहा कि श्रीमती जी सप्ताह  में अकेले घर में न बैठे । घर के आस पास घूमे ,कुछ इतिहास भूगोल का ज्ञान अर्जित करें।बार बार मेट्रो लाइन के नक़्शे और आस पास के प्रमुख स्थलों की जानकारी देने के बाद भी जब कुछ ख़ास प्रगति न दिखी तो हम समझ बैठे कि यहाँ वहाँ साथ साथ ले जाना ही नियति  है ।

श्रीमति जी आजकल गाँव में है और हम घरवापसी को पुलिंदा बाँध रहे है । कल वार्तालाप के दौरान फरमाइश हुई कि आते हुए रेवलॉन ब्रांड की कॉफी कलर की लिपिस्टिक जरूर और जरूर  ले आना । हमने समझाया कि भाग्यवान्  कहाँ ढूढ़े ऐसा स्टोर कि जहाँ मिल जाये ये रेवलॉन ! फिर अपने शहर में भी तो सब मिलता है । 

लेकिन कौन बचा है जो हम बच पाते । 
बताया गया " बेडोक बस स्टॉप से बायीं ओर एग्जिट करने के बाद जो मार्केट आता है , उसमे गोलचक्कर के बाद , दायें हाथ पर वाटसन की दुकान  है , वहाँ मिल जाएगी । अगर वहाँ न जाओ तो टैम्पनीस मॉल  के दूसरे  माले की कोने वाली दुकान  पर भी मिल जाती है । अरे हाँ ! तुम्हारे ऑफिस के पास वाले मॉल  में ग्राउंड फ्लोर पे भी मिल जाती है । "

जिस दिमाग में बार बार प्रयासों के बाद भी मेट्रो लाइन की साफ़ सीधी  लकीर पे चिपके दो चार स्टेशनों के नाम और भूगोल का अंकीकरण कराने में हम असफल रहे उसी दिमाग में रेवलॉन की लिपस्टिक की दुकानो से लेकर रेवलॉन की शेल्फ तक के कोऑर्डिनटेस इस बारीकी के साथ अंकित है कि उम्दा से उम्दा जी पी एस यन्त्र भी शर्मिंदा हो जाएँ । 

है कोई जवाब !  डिज़ाइन में कुछ अंतर तो ज़रूर है !  




 

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