आप ट्रैन पकड़ने की भागदौड़ में है । प्लेटफार्म के लिए लगे एस्केलेटर पर चढ़े जा रहे है । आपके ठीक दो सीढ़ियों ऊपर एक युवती खड़ी है ,बेहद छोटी पोशाक में !
कितनी छोटी ? आपकी कल्पनाओं के चरम स्तर से बस थोड़ी सी बड़ी !
माने , नितम्ब के नीचे जो अर्ध चंद्राकार गोलाई बनती है ना , वो भी दर्शनीय है ।
और हाँ दर्शन भूलवश या वार्डरोब मालफंक्शन के चलते नहीं । अजी , ट्रेंड चल रहा है इधर ।
स्वागत है आपका, एशिया के गौरव सिंगापुर में !
चिंताओं के पाताल लोक में भी लिप्त क्यों न हो दिमाग , फिर भी पूछता ही है " अब इससे आगे क्या ?"
क्या कहा ? आपका नहीं पूछता । सही है , कोई विवाद नहीं , आपकी संत आत्मा को हमारा साष्टाँग प्रणाम पहुंचे ।
भौतिक वाद , वस्तुवाद जब निर्जीव खिलौनों से निकल व्यक्तिगत स्तर तक उतरता है न तो यही होता है ।
वैसे इसमें थोड़ा कल्चर का पहलु भी देखा जा सकता है । साउथ ईस्ट एशियाई देशो में पहनावे को लेकर अपने घर के यहाँ से ज्यादा उदारता तो है ही । काफी ज्यादा ।
चूँकि मैंने पाया है , देश से निकल ऑनसाइट आने वाली युवतियाँ खुले आसमान में उडारी मारने के हौसले का प्रदर्शन करती तो जान पड़ती है , पर स्कर्ट नी लेंथ से ऊपर ले जाने की हिम्मत कम ही होती है ।
कल्चर , यु नो ! ;)
बात पोशाक और पहनावे की चल ही रही है तो एक वाकया और ।
चीनी परुषों का मिज़ाज़ भी अलग होता है अपने यहाँ से । जिम ज्वाइन करने के पहले दिन चेंजिंग रूम में गया तो पाया वहाँ का दर्शन कुछ अलग ही था । कोई भेद नहीं , सब निपट नंगे , एकदम खुली नुमाइश ! और हाँ किसी के चेहरे पे कोई भाव नहीं । कोई अचम्भा नहीं । सब अपने में बिजी । चीनी और अँगरेज़ निपट नंगे इधर उधर चहलकदमी करते दिखाई पड़े । केवल भारतीय और मलय मूल के पुरुष ही लज्जा निवारण को बड़ी सफ़ेद तौलियों के पीछे छुपते नज़र आये ।
हाँ एक देसी अंकल दिख रहे है पिछले दिनों से , जिन्होंने अपने पिछड़ेपन को छोड़ आधुनिकता को अपना लिया है । कई दिनों से ये जनाब भी रौ में बह अपनी दूकान खुली छोड़ आराम में नज़र आते है । इण्टर रेशियल हारमनी के लिए अच्छा है , मिल जुल के रहना चाहिए, सबके जैसा दिखना चाहिए ।
बात नुमाइश की है तो जनाब आप कौन सा कम है ।
आप पचासों फोटो में से छांट छूट ऐसी फोटो फेसबुक पे डालते है जिसमे आपने सांस खींच पेट अंदर दबाया हो , एडिट कर ब्राइट कर डालने में भी गुरेज़ नहीं करते । आप हमेशा 'चिलिंग आउट ' मोड में होने का प्रदर्शन करते है ,चाहे अभी थोड़ी देर पहले मैनेजर ने आपका तबला बजाया हो ।
आप इधर उधर की पंचलाइन चुरा अपनी बना सोशल मीडिया पे पोस्ट करते है । इंटेलेक्चुअल वाद विवाद लाइक डिस्लाइक मारते है , चाहे मामले की जड़ पूछ पता हो या न पता हो ।
नया मोबाइल हो या नयी कार या नयी बीवी, छोटी से छोटी ट्रिप , लंच-डिनर सबका प्रदर्शन फेसबुक पर , एकदम फुकाउ मोड में होते है आप ।
स्वागत है आपका भौतिकवाद , वस्तुवाद के नए युग में !
अपनी पैकेजिंग , एडवरटाइजिंग सही से , करीने से कीजियेगा , आप एक वस्तु है !
माने , जनाब आप खुद एक नुमाइश है !
बुरा न मानियेगा वैसे , छोटी पोशाकों को देख फील गुड हार्मोन्स एंडोर्फिन, सेरोटोनिन तो रिलीज़ होते है कम से कम । आपकी नुमाइश तो अमूमन हमारा मूड ख़राब कर जाती है , आप बेबजह , बेहिसाब खुश नज़र जो आते है !
--सचिन कुमार गुर्जर
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