शनिवार, 31 जुलाई 2010

मेक - रिची जलाशय और पुलाव उबीन द्वीप यात्रा



कार्यालय सम्बन्धी कार्यकलाप से महीनो के बाद कुछ फुर्सत मिली ,तो घुमंतू मन जीवित हो उठा...
मन हुआ जाऊ कही,इंसानों की भाग दौड़ से दूर..प्रकर्ति माँ की गोद में कुछ साँसे चैन की लूं ...
खोजबीन की ,तो २ ऐसे स्थानों के बारे में पता चला | पहला है मेक - रिची जलाशय और दूसरा है पुलाव उबीन द्वीप...

मेक रिची जलाशय ,१८वी शताब्दी में स्थापित हुआ  था| उद्देश्य था ,सिंगापुर वासियों की जल आवश्यकता की आपूर्ति |
जलाशय के इर्द गिर्द के इलाके को अविकसित ही छोड़ दिया गया ,ताकि जलाशय में वर्षा जल निर्वुध आता रहे|
कालांतर में यह इलाका एक सघन वर्षा वन के रूप में विकसित हो गया|

सिंगापुर जैसी छोटी और सघन बसाबत  वाली जगह में ऐसे घने और अनछुए जंगल की उपस्थिति मेरे लिए काफी रोचक और हतप्रभ करने वाली थी | कच्चे मटीले रास्ते हसनपुर की याद दिलाते वाले थे...
सिंगापुर वासियों ने इस विरासत को बड़े ही संभाल के रखा है...
मन खिन्नता से भर जाता है ,ये सोचकर कि अपने यहाँ सब कुछ होते हुए भी हम लोग क्यों नहीं उसकी कद्र कर पाते..

खैर , मेक रिची का ११ किमी की वर्षावनो के बीच की पदयात्रा काफी तरोताजा करने वाली रही...
गहरे नील वरणीय जलाशय के चहु और छितरे वर्षा वन मन को शीतलता प्रदान कर गये|
ट्री टॉप वाक् ने मोगली वाले पुराने दिनों की याद दिला दी ,जब मोगलीअपने जंगल के साथियो के साथ चट्टान के ऊपर बैठ पूरे घने जंगल का जायजा लिया करता था |


अब बात करते है पुलाव-उबीन की..
पुलाव-उबीन सिंगापुर के मुख्या धरती से थोडा हट के समुद्र में एक छोटा से सुन्दर द्वीप है |
हालाँकि मुख्य धरती से द्वीप की दूरी कुछ ज्यादा नहीं ,फिर भी जान बूझ कर द्वीप को पुल मार्ग से नहीं जोड़ा गया है...
ऐसा शायद द्वीप को इंसानी खुराफात और अन्धाधुन्ध शहरीकरण को रोकने को किया गया है..
आप २.५ डालर देकर मोटर उक्त फेरी में बैठ द्वीप दर्शन को जा सकते है...

सिंगापुर के विकास से पहले सिंगापुर भी कुछ इस तरह का ही हुआ करता था | वही घने वर्षा वन | समुद्री किनारों पे
वर्षा वनों की  जगह मंग्रोव ने ले ली है .. आप वहा जाकर साईकिल किराये पे ले कर द्वीप की सैर कर सकते है | ८-१० डालर में पूरे दिन के लिए साईकिल मिल जाती है | घने जंगल आप में नए प्राण फूक देते है..
सप्ताहांत में जाने के लिए उपुक्त जगह है ..

श्रद्धा भाव

  सिंगापुर सुविधाओं , व्यवस्थाओं का शहर है | सरकार आमजन की छोटी छोटी जरूरतों का ख्याल रखती है | फेरिस्त लम्बी है , हम और आप महीनो जिक्र कर स...