बहुत समय पहले कि बात है , अनिश्चत्ता और हाड़तोड़ मेहनत की जिंदगी से त्रस्त आ एक भेड़िये ने भेड़ो के शिकार की अनोखी युक्ति निकाली थी । ये भेड़िया कुछ अलग था । मतलब इनोवेटिव टाइप का , रेबेलस टाइप का ,आउट ऑफ़ बॉक्स थिंकर। उसे अपने पूर्बजों के घिसे पिटे शिकार के तरीकों से ऊब थी ।
किसी भेड़ की खाल पहन ली और भेड़ो के झुण्ड में मिमियाता हुआ शामिल हो गया ।
भेड़ो का मिज़ाज़ तो आप जानते ही हों , भीड़ में बस सर झुकाये चरते रहना , आस पास क्या हो रहा है ये समझने का ज्यादा जहमत नहीं करतीं । वो भेड़िया लम्बे अरसे तक झुण्ड में शामिल हो भेड़ो के मुलायम मेमने और कमजोर भेड़ो को डकारता रहा । पर एक दिन आया और वो पकड़ा गया । किसी समझदार , जागरूक भेड़ ने भांप लिया कि भेड की खाल है पर अंदर है भेड़िया । भेड़े संगठित हो गयी , भेड़िया सिर पर पाँव रखकर भागा ।
जंगल में ये बात आग की तरह फ़ैल गयी ।
दूर दूर के जीव जन्तुओ को खबर लग गयी । सब सतर्क , एकदम चौकन्ने । उसके बाद भी कुछ भेड़े भेडियो का शिकार हुई , पर खाल वाली युक्ति के दिन लद चुके थे ।
उधर भेड़ियों में भी इस इनोवेटिव एटेम्पट के चर्चे हुए । मंत्रणाएं हुई , विचार गोष्ठियां हुई ।
विचार विमर्श हुआ , कि आखिर ये युक्ति असफल क्यों हुई । क्या भेड़ो का मानसिक स्तर भेडियो के मानसिक स्तर से आगे निकल चुका । भेड़िये शर्मिंदा थे । उनकी अकड़ फूं के दिन धुँआ हो रहे थे ।
भेड़ियों ने कमीशन बिठाया ।कुछ बातें निकलकर सामनें आयी । कुछ सुझाव प्रस्तावित किये गए ।
१. भेड़िये ने भेड़ की खाल तो पहन ली पर वो उनमे से एक होने का नाटक न कर सका । जब भेड़े एक एक कर गायब हुई तो सब भेड़े चिंताग्रस्त थी , पर भेड़िया सबसे अलग बेफिक्र दिखा । न कही धरना दिया , न किसी न्यूज़ चैनल पे गला फाड़ फाड़ चिल्लाया । लिहाजा, शक होना लाजमी था ।
सबक : भेड़ो के किसी एक झुण्ड के हमदर्द, लम्बरदार हो जायो और हर सही गलत बात पे जोर जोर से चिल्लाओ । धरने दो , हुड़दंग करो , ये जला डालो वो फूँक डालो । भेड़े अपने हमदर्दी पे शक क्यों करेंगी भला ।
२. भेड़े संगठित थी । परस्पर विश्वास का माहौल था । सो जब कथई- भूरी भेड़ ने छुपे भेड़िये का पर्दाफाश किया तो किसी भी काली या सफ़ेद या लाल भेड़ ने उसे एवे ही रिजेक्ट नहीं किया । गम्भीरता से लिया ।
सबक : भेड़ो को बताये कि वो है भूरी भेड़ या कथइ भेड़ या काली भेड़ । भेड़ो को बताये को वो है बेचारी भेड़ , लाचारी भेड़ । दूसरे रंग की भेड़ चतुर है तुम्हारे हिस्से की घास खाती है , वो भेडियो से मिली हुई है । वो भेड़ नहीं हैं सियार हैं । तुम्हारे रंग वाली भेडो के लिए खतरा है ।काम आसान हो जायेगा ।
३. भेड़िये ने एक एक कर भेड़ो को मार समूचा खाना शुरू कर दिया था । जिससे अफरातफरी का माहौल पैदा हुआ ।
सबक : जब तक बेहद जरूरी न हो ,मारें नहीं , बस खून चूसे । चूसें और अपने हाल पर छोड़ दे , फिर काम आएगी । नयी भेड़ ढूंढे और क्रम जरी रखे । भेड़ संख्या वाला जानवर है जब तक अपने जैसो की भीड़ दिखेगी कोई हल्ला नहीं होगा । दूसरा , चूसी हुई भेड़ का दिमाग सुन्न रहेगा और अपने अस्तित्व की लड़ाई में उसे भेड़ की खाल में भेड़िया सूंघने की फुर्सत न मिलेगी ।
४. भेड़िये ने अपने चाटुकार सियार को नाकारा था । सियार भेड़ो को ज्यादा निकटता से जानते समझते है सो
जो काम वो भीड़ में रहकर कर सकते है उसके लिए भेड़ियों को खुद अनावश्यक कूदने की तकलीफ क्यों ।
सबक : चाटुकार सियारो का नेटवर्क तैयार किया जाये । समय समय पर सियारो को हड्डियाँ फेकते रहे , बाकि काम वो खुद करेंगे ।
कमिशन की सिफारिश पर भेड़ियों ने अक्षरशः पालन किया । गवाह की जरूरत नहीं भेड़िये और सियारों की फलती फूलती संख्या और उनकी सेहत से आप उनकी सफलता का अंदाजा लगा सकते है ।
गुस्ताखी माफ़ : भेड़िये और सियार जैसे शब्दो का प्रयोग सांकेतिक है । असल के भेड़िये और सियार आदमजात के हाथो शिकस्त खा अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे है । लेख का उद्देश्य उनकी भावनाओ को नुक्सान पहुँचना कतई नहीं । ईश्वर अस्तित्व क़ी लड़ाई में उनका साथ दे ।
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