" सुनते हो , गाँव के घर में मार्बल पत्थर लगवाया जा रहा है , पता भी है तुम्हे ? " स्त्री के स्वर में रोष था |
"अच्छा " पुरुष ने इतना भर कहा बस | और ये 'अच्छा ' पत्थर लगाए जाने की क्रिया का स्वागत भाव न था | बनिस्बत इसके ये इस बात की तसदीक था कि वह बेचारा अनभिज्ञ था |
"मैं पूछती हूँ कि भला क्या जरूरत है इस बर्बादी की | माँ बाबा के बाद वहाँ कौन रहेगा | " स्त्री का स्वर तीव्र से मध्यम की ओर चला गया था | उसके रोष में अब दर्द था | बिलाबजह , फिजूल की बर्बादी का दर्द |
"हम्म " कुरेशिये की बुनाई के मेजपोश पर चाय का कप वापस रखते हुए पुरुष ने हामी भरी |
"तुम्हे क्या लगता है , माँ बाबा के पास पैसा नहीं है | लाख दो लाख से कम लगेंगे क्या | देखते रहियो , सब का सब छोटे को जायेगा ! "
"हम्म्म्म " पुरुष का जबाब पहले जैसा ही था , बस पहले से थोड़ा लम्बा |
आप सोचेंगे , कि शायद पुरुष का कलेजा चूजे का है | स्त्री के तर्क की काट हो सकती थी |
माँ बाप बूढ़े है तो क्या हुआ | जब अगड़ पड़ोस के सब घरों के आँगन में पत्थर लग गया है वे भला कच्चे आँगन में क्यों रहे | फिर वे ये सब अपनी फसल की कमाई से ही तो कर रहे , हमे क्या हर्ज़ ?
सब उनका ही तो है | और फिर उनके बाद गांव के मकान का मालिकाना हक़ में हम भी तो हिस्सेदार होंगे |
लेकिन वजुआत दूसरी भी हो सकती हैं | हो सकता है इस तर्क वितर्क के खेल को पुरुष ने कई मर्तबा खेला हो और अब मन उकता गया हो | ये एक ऐसा खेल है जिसमे जीत हो ही नहीं सकती | चीन के प्रसिद्ध मिलिट्री स्ट्रैटिजिस्ट 'सुन ज़ू' ने अपनी किताब 'आर्ट ऑफ़ वॉर ' में लिखा है , जिस युद्ध को आप जीत नहीं सकते , उसमे उतरिये ही मत |
पुरुष के हाथ में 'हम्म ' और 'अच्छा ' ऐसी दो ढाल है जिससे वह युद्ध से बिना लड़े समूचा बच निकलता है |
आप कितने गाँव खेड़ो से गुजरते हैं | जहाँ अब पक्के रंग रोगन किये हुए , ऊँचे चबूतरों के मकान पाते हैं | चबूतरे जिन पर संगमरमर के पत्थर बिछे होते है | दो चार कुर्सियां रखी होती हैं, कुछ गमले लगे होते हैं | ये ऊँचे सजीले चबूतरे इस बात का उद्धघोष होते हैं कि परिवार अच्छा कर रहा है |
इन ऊँचे चबूतरों के शहरी मॉडल पर बने मकानों के बीच में आप कोई जर्जर पुरानी हवेली पा जाएं , जिस पर सालों से पुताई न हुई हो , जिस के कंगूरों पर पीपल उग आये हों , जिसका आँगन कच्चा हो , तो आंगन में बैठे बूढ़े बूढी की गरीबी पर तरस जाँच पड़ताल के बाद ही खाइयेगा |
बहुत मुमकिन है उस घर का बेटा गाँव का सबसे होनहार लड़का हो | सबसे धनाढ्य भी | लड़का जो दुबई में प्रोजेक्ट मैनेजर हो और जिसके मुंबई और पुणे में दो दो फ्लैट हों | लड़का जिसने इंजिनीयरिंग , मैनेजमेंट के गूंठ तो सीखे हों पर 'हम्म' और 'अच्छा ' कह बच निकलने की कला से अनभिज्ञ हो |
सचिन कुमार गुर्जर
सिंगापुर द्वीप
२० अक्टूबर २०२४
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