गुरुवार, 3 नवंबर 2016

समर्पित प्रेम


प्यार की तासीर उतावलेपन की होती है । नतीजन, वो नया प्रेमी गैरआराम था । उसकी उँगलियाँ  उसके  वाइड स्क्रीन फ़ोन पर बेचैन सी नाच रहीं थी ।  आँखे  कुछ टोह रही थी , इंतज़ार था उन्हें किसी का शायद !

 अच्छे खासे अरसे उल्लू की तरह स्क्रीन को घूरने के बाद प्रेमी की आँखे चमकी और उसने बड़ी वाली स्माइल देकर बोला  " सुनो  जानू , आई लव यू , आई मिस यू . "

जबाब आया " ह्म्म्म "
नपा तुला ह्म्म्म , हाँ  बस इतना ही !
प्रेमी  का चेहरा मुस्कान से  दर्द में कुछ ऐसी फुर्ती से बदला जैसे  खिलते लहलहाते हुए छुईमुई के  पौधे को कोई झंकझोर  गया  हो।
उदास मन शांत हो गया । निशब्द, अवसादग्रस्त वाला शांत ।
 
 किसी भी गंभीर प्रेमिका की तरह वो प्रेयसी भी सब कुछ सह सकती थी पर सन्नाटा नहीं !
सो उससे रहा ना गया और उसने बोला " बोलो भी कुछ "

प्रेमी बहुत कुछ कहना चाहता था , पर ये जो प्रेम होता है ना , इसकी विधा नाटक माँगती है , सो उसने कहा " कुछ नहीं , बस ऐसे ही , मूड थोड़ा उखड़ा हुआ है आज । "

सर्वज्ञात है पर फिर भी बताने योग्य है कि स्त्री पुरुष प्रेम में स्त्री की भावनाएं ज्यादा सूक्ष्म होती है , वो अपने प्रेमी के 'हेलो ' कहने के आधार पर ही उसका मूड भांप सकती है !
सो उम्मीद के मुताबिक प्रेयसी  ने प्रेमी को  कुरेदा " क्यों बेबी , क्यों ? हुआ  क्या है ?

बोलो , क्या चल रहा है दिमाग में ? जल्दी बोलो "


प्रेमी मानसून के बादल सा  फटने  के इंतेज़ार में ही था " सुनो , रात तुम पूरे 25 मिनट तक व्हाट्सएप्प पर ऑनलाइन थी ? पर एक भी मैसेज किया ?"

"ओह्हो ,बात की तो थी ?"

"हाँ , पर वो  तब , जब मैंने मैसेज किया ।" 

प्रेमी  यही नहीं रुका  " तुम सुबह 6 बजे भी पूरे 8 मिनट ऑनलाइन थी , पर एक भी मैसेज नहीं किया । "

प्रेयसी  को अपनी बारी  का इंतज़ार था और उसका जबाब तैयार था  " यार , तुम्हे मैं  कैसे यकीन दिलाऊ कि बस एक तुम  ही हो , और कोई   नहीं । दूर दूर तक भी नहीं ।
क्या  करूँ मैं ऐसा यार , दिल चीर के दिखाऊ अब । तब मानोगे ? "

प्रेयसी  समस्या का त्वरित समाधान चाहती थी " सुनो , मैं सच कह रही हूँ  , मैं व्हाट्सएप्प डिलीट किये देती हूँ । ठीक है?   तब तो तुम आराम से , बेफिक्र रह सकोगे ना ? बोलो ? "
 बोलो ना माय सोना , क्या मैं आपके लिए इतना सैक्रिफाइस नहीं सकती ?
बोलो तो एक बार।  " 

प्रेमी का गुस्सा और उसकी शिकायत दोनों  उथले ही थे । पल भर  में भाप हो गए । पेशकश ने उसे कसमकश  में डाल दिया ।
दिल पिंघल  गया । क्षण  भर में उसके चेहरे पे प्यार और पछतावा उभर आया ।
" नहीं नहीं , व्हाट्सएप्प डिलीट मत करना पागल ।
मैं.... मैं तो बस  ऐसे ही । बहुत चाहता हूँ तुम्हे यार ।
समझता हूँ ।  पर यू नो , होता है प्यार कभी कभी पोसेसिव  हो जाता है ।सॉरी बेबी , सॉरी मेरी कुच्ची पुच्ची !"

प्रेमी अब आराम में था, प्यार बेफिक्र था । वो  मज़बूत दिल था पर प्रेयसी के समर्पण और व्हाट्सएप्प तक उड़ा डालने की पेशकश से उसकी आँख में छोटा सा आँसू उतर आया था !


                                                                                                ---सचिन कुमार  गुर्जर




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