वो लड़का पहाड़ के किसी गाँव से कॉलेज आया था । एकदम गवई , हर एंगल से । बातचीत का लहजा , ड्रेसिंग सेंस , विचार व्यवहार । मतलब हर लिहाज से । गोल फ्रेम की ऐनक लगाता था जो पुराने हेडमास्टर के लुक वाला फील देता था ।
दूसरी तरफ उस्ताद था , जो दिल्ली से आया था । राजधानी दिल्ली से !
उसके बोल बोल से एटीट्यूड टपकता था । बहुत ही सफास्टिकेटेड !
खुद बोलता था " हम हम है , बिना सुतली के बम है , हमे रोक सके कोई , किसमें इतना दम है! "
लड़के की आँखे सपनो से भरी थी , बस डिग्री मिल जाये , फिर नौकरी और फिर जिंदिगी शुरू हो ।
उधर उस्ताद निर्वाणा की स्टेट में रहता था हमेशा । लगता था सब पा लिया , अब कुछ बचा नहीं अनुभव करने जैसा , चखने जैसा ! उसने घाट घाट का पानी पी रखा था , सराय काले खां से लेकर , बेर सराय , मदनगिरी से ऍम जी रोड तक !
कॉलेज में चाय के ठीये पे बैठ उस्ताद अक्सर बोलता , "यार, मेरे कॉलेज आने का मकसद डिग्री या पढाई नहीं , मैं तो हवा पानी बदलने को आया इधर !"
लड़का इल फिटिंग पैंट , गाँव के अनगढ़ टेलर की सिली हुई , नाभि के ऊपर बांधता था, वो भी गोल्ड्स्टार के जूतो के साथ ! उस्ताद लोअर वेस्ट पहनता था , जिसमे से उसका जॉकी का अंडरवियर बाहर झांकता था , मतलब अंदर से लेकर बाहर तक ब्रांड की दूकान था उस्ताद !
लड़का डबल बबल चबा के ही स्टाइलिश होने की आग को बुझा लेता था , उस्ताद सिगरेट को ऐसे पकड़ता था , मानो सिगरेट नहीं कोई लड़की पकड़ी हो । मतलब जे कि दबा के नज़ाकत भरी थी उस्ताद की तबियत में !
उस्ताद रोल मॉडल था , और लड़का नौसिखिया ,जो उस्ताद की अनुभव की दूकान से एक एक अनुभव अपने जीवन में उतार लेना चाहता था ।
एक बार उस्ताद ने ज्ञान वांचते हुए बोला " अरे बुड़बक , ओ तुच्छ प्राणी , तू कैसे टिकेगा उधर दिल्ली में , बहुत ही सीधा है , लोग बाग़ बहुत चूरन काटेंगे तेरा !
तेरे को इल्म नहीं पिसुए , ज़माने की रफ़्तार क्या है उधर ।
पता है उधर लड़कियाँ कैसी कैसी है , कैसे कपडे पहनती है ?
टैटू दिखाती है , उनकी नाभि में बालियां लटकी होती है । और सिगरट , मैं तो कुछ भी नहीं , उधर की लड़कियाँ सिगरेट के धुएं के ऐसे छल्ले बनाती है रे बाबा ! टायर जैसे गोल गोल !
और हाँ ,तू अगर गलती से भी पास उनके पास फटक गया तो तेरे मुँह पे धुँआ छोडेंगी और बोलेंगी , हट बेन ******, दूर हट !"
"तू तो दिल्ली की बस में भी नहीं चढ़ पायेगा । भाग के ही चढ़ना होता है , रूकती नहीं है वहाँ बस "
लड़के का कलेजा बैठ जाता। उसे लगता नौकरी तो शायद वो पा जाये ठीक ठाक , पर ये सीधापन और देहाती चौखटा इज़्ज़त का फालूदा कराया करेगा यहाँ वहाँ ! हीन भावना के न्यूनतम स्तर को छू जाता था लड़के का मन उस्ताद की बातों से ! "
खैर , समय का चक्का घुमा , नौकरियां शोकरिया लग गयी , लड़का जम गया दिल्ली में ।
पर उस्ताद की बात दिमाग में टकराती रहती थी, खटकती रहती थी । जिज्ञासु बालक बन घूमता था इधर उधर । कहाँ है वो दिल्ली , जिसका वर्णन उस्ताद कर गए लम्बे अरसे पहले अपने प्रवचन में !"
दूर से ही दिख जाये , लड़कियों का कोई ऐसा झुण्ड , जिनकी नाभियो में लटकी हो सुनहरी बालियाँ , कमर पे कही बना हो कामदेव के छल्ले वाला टैटू और जो सिगरेटों के छल्ले उड़ाती हो हवा में बेख़ौफ़, बेपरवाह । ..
और जो जरा सा पास फटकने पे बोलती हो हट बेन********* दूर हट !
उसे लगा , उस्ताद उसे यूँ ही गिरियाते रहे कॉलेज , इधर तो ऐसा कुछ माहौल है ही नहीं । वो लड़का दिल्ली की गली गली घूमा । पराठे वाली गली से लेके चटोरी गली तक । पालिका बाजार से नयी सड़क तक । तभी ठंडी रोड तो कभी गरम रोड ! पर धुएं के छल्ले उड़ाती , मादक टैटू वाली लड़की न दिखी !
रहा न गया उससे , घुमाया उसने एक रोज उस्ताद को फ़ोन और सुनाई पूरी व्यथा ।
मार्गदर्शन दे गुरु , आपमें आस्था टूटी जाती है । जीवन अनुभवहीन बीता जाता है ।
उस्ताद हँस दिए । बोले " बालक , जैसी जिसकी द्रष्टि , वैसी दिखे सृष्टि ! "
" नज़र पैदा कर बालक , सब है इधर ही !"
" चल शाम को आता हूँ। "
शाम को उस्ताद अवतरित हुए और लड़के को प्रकृति दर्शन को ले चले । गुरु का मार्गदर्शन !
एक इंटरनेशनल कॉल सेंटर के सामने बैठ उस्ताद ने मुँह में मिंट फ्रेश दबा ली और सिगरेट सुलगा ली ।
यौवन का मेला था कॉल सेंटर के बाहर । हँसी ठिठोली करते कम उम्र लड़के लड़कियाँ । वेल ग्रूम्ड ! स्टाइलिश बेहद अंग्रेजीदां । चुस्त जीन्स , फटी जीन्स , बेहिसाब नुकीले , चमकीले जूते , कोई बदन उघाड़ू तो कोई फुल्ली कवर्ड , कोई जैल लगे अजीबो गरीब बाल लिए , तो कोई दूधिया सफ़ेद , चमचमाता टकला सिर लिए !
कोई सुराही सी कन्या , तो कोई बर्गर सी तो कोई मिल्क चॉकलेट से दूधिया !
मतलब कॉकटेल सा था , परिभाषा में बाँधना मुश्किल है ।
" एक बात बता , कोई आदमी तेरे से हाथ मिलाये और फिर तेरी हथेली में अपनी ऊँगली से खुजाये तो इसका मतलब क्या हुआ ? " उस्ताद प्रवचन के मूड में थे ।
लडक ने सहज जबाब दिया ," इसका मतलब वो आदमी कोई अदना मैनेजर है किसी आई टी फर्म में , जो एक्स एल शीट भर भर कर अपनी उंगलिया चोटिल कर रहा है कीबोर्ड पीट पीट के !"
"एकदम गलत! इसका मतलब ये है कि वो आदमी समलैंगिक है और तुम्हे प्रणय निवेदन कर रहा है , वो तुम्हे टटोल रहा है , किसी सिग्नल की आस में "
" सच्ची ?"
"हा , सोलह आने सच्ची! "
ज्ञान की धाराए बह रही थी कि तभी कोई सुरीली सी आवाज़ ने ध्यान खीच लिया ।
" एक्सक्यूज मी , मे आई बोरो योर लाइटर फॉर ए मोमेंट , प्लीज !"
एक बेहद सुन्दर , सुतीली ,सिगरेट सी लड़की ! उसकी आँखे जरूर थोड़ी थकी सी थी, लॉन्ग , ओड शिफ्ट की वजह से शायद! वो लड़की उस्ताद से लाइटर मांग रही थी , सिगरेट सुलगाने को । लूज़ , हिप हॉप शार्ट टीशर्ट , जो नाभि दर्शन का अवसर प्रदान कर रही थी । नाभि में तीन छल्ले थे , बड़ा , मीडियम औए स्माल । उसके कंधे पे बटरफ्लाई टैटू बना था ।
"स्योर , व्हाई नॉट !" भारी आवाज़ में उस्ताद ने बोलते हुए मुस्कान के साथ लाइटर आगे बढ़ा दिया ।
"स्योर , व्हाई नॉट !" भारी आवाज़ में उस्ताद ने बोलते हुए मुस्कान के साथ लाइटर आगे बढ़ा दिया ।
सिगरेट सुलगाते ही उसने धुए का बड़ा सा छल्ला बना हवा में उछाला , मानो धुँआ नहीं स्ट्रेस रिलीज़ कर रही हो ।
एक एक घटना क्रम एकदम ऐसा ही घटा जैसा उस्ताद सालों पहले कॉलेज में वर्णन कर गए ।
गनीमत ये रही कि उसने लड़के की ओर मुड़कर ये नहीं बोला कि " तू कौन , हट बेन ***"
बस एक प्यारा सा " थैंक यू वेरी मच " बोल आगे बढ़ गयी ।
लड़के को काटो तो खून नहीं , हलक सूख गया एकदम , और दिल तो ऐसे दौड़ा मानो कोई हथोड़ा चला रहा हो सीने पर ।
शब्द सूख गए , बोलने जैसा कुछ बचा भी नहीं था । बस नतमस्तक हो गया गुरु के सामने । क्षमा महाराज, व्यर्थ आपके प्रवचनों पे शक किया ।
गुरु गोविन्द दाऊ खड़े काके लागु पाय
बलिहारी गुरु आपणो गोविन्द दियो बताय !
वापस घर लौटते हुए लड़के ने उस्ताद से मिंट फ्रेश मांगी और मुँह में डाल गाडी के मिरर में मुँह टेढ़ा कर , आवाज भारी कर नकली एक्सेंट में बोला
"स्योर , व्हाई नॉट !"
"क्या उस्ताद , घंटे का इनोवेशन कर रहा मैं उधर , एक्सेल शीट में घूर घूर के गोल चीज़े भी चौकोर नज़र आती है !
और क्या बाहियात पीपीटी बनाता हूँ , किन किन फ़िज़ूल चीज़ो को लेकर बनाता हूँ ।
भटक गया हूँ उस्ताद ।
इस पार जीवन तो जी लेता । और कौन सा पैसा बचता है उधर ? महीने का आखिर , और बस सब लाम पेट बराबर !"
"तू मौज मस्ती टाइप का नहीं है रे ! तेरी पर्सनालिटी अलग है! और हाँ चीज़े दूर से ही सुहानी दिखती है । तेरी लाइफ दुसरे ट्रैक पे है । आगे देख ! "
"सुन , नॉएडा एक्सटेंशन में घर बुक करा दे , इन्वेस्टमेंट के हिसाब से । भाड़े पे चढ़ा देना । तेरा पुराना लोन चुकने को आया , नया ले ले ! "
उस्ताद लड़के को उसकी सच्चाई और नियति के कोऑर्डिनेट्स में घसीटते हुए बोले ।
"ठीक है उस्ताद " किसी आज्ञाकारी बालक सा हाँ करता चला गया वो लड़का ।
"ठीक है उस्ताद " किसी आज्ञाकारी बालक सा हाँ करता चला गया वो लड़का ।
सूरज हिल सकता है , धरती डोल सकती है , पर लड़के के मन में जमी उस्ताद के प्रति आस्था और उनके एक एक प्रवचन में भरोसा , कोई नहीं हिला सकता ।
उसे हमेशा डर सताता है कि कही कोई दिल्ली की अल्ट्रा मॉडर्न लड़की उसके मुँह पे धुँआ छोड़ ये न बोल दे कि "हट बेन***!"
सचिन कुमार गुर्जर
सचिन कुमार गुर्जर
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