मित्रों, जिन्दगी मे तीर मारे हो या ना मारे हो, इंग्लिश मीडियम स्कूल मे पढ़ने की वजह से अपना बचपन मे रुतबा तो रहा l मुझे अच्छे से याद है जब नवोदय स्कूल से एक बार छुट्टी मे लौटकर मैंने जंगलपानी को ‘टॉयलेट्‘ कह कर सम्बोधित किया था l पिता जी ने सही से समझने क़े लिये दोबारा कहलवाया l शाम को बैठक मे उन्होंने हुक्के की चौकड़ी क़े बीच ऐलान किया कि जिस बालक ने अंग्रेजी पकड़ लीं,. समझ लो उसका जीवन सुधऱ गया l पिता जी क़ी बात मैने गांठ बाँध लीं l मैंने हमेशा अंग्रेजी ही पकड़ी l कच्ची को हाथ नहीं लगाया l
सचिन कुमार गुर्जर, सिंगापुर
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