सोमवार, 9 सितंबर 2024

इंस्टूमेंट टू ओपन

"पेरासिटामोल " मैंने बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर के फार्मेसी सेक्शन में बैंठी  फार्मासिस्ट से इतना भर पूछा | और जबाब में उसने दायाँ हाथ हवा में उठाया , एक अधचन्द्राकर बनाया , उसके बाद फिर दूसरा अर्धचद्राकार | माने , दो सेल्फ लेन कूद कर तीसरी में चले जाओ |मुझे  कोई 'लो डोज़' , जेनेरिक सी टेबलेट का छोटे से छोटा पैकेट चाहिए था | बताये गए सेल्फ में सब जम्बो पैक ही दिखे सो मैं खुद ही घूम कर दुसरे सेल्फ स्कैन करने लगा |  दो बार चक्कर काट जब मैं तीसरी मर्तबा फार्मासिस्ट के आगे से गुजरा तो वो अपनी चेयर छोड़ मेरे पास चली आयी | कृशकाय महिला थी , मोटा चश्मा लगाए| औसत से लम्बी, पीत वर्ण , पचपन साठ के बीच की रही होगी | या उससे भी उम्रदराज हो | इन चीनी लोगो की उम्र का पता नहीं चलता | 

"तुम्हे पैरासिटामॉल ही चाहिए न या कुछ और | " उसने मुस्कुराते हुए पूछा | 

"नहीं , कुछ और तो नहीं | चाहिए होगा तो मैं मांग लूँगा " मैंने विनम्रता से जबाब दिया | 

मुझे उसका इस तरह से 'कुछ और' पूछना थोड़ा अजीब लगा था | और उस अजीब लगने की फीलिंग को वो अनुभवी महिला शायद समझ गयी थी  | 

वो समझाने लगी | "स्टोर में तरह तरह के कस्टमर आते है | बहुत से टूरिस्ट होते है | टूरिस्ट जो अपनी बात कह नहीं पाते | "

" मैं समझ सकता हूँ |  मुझे कम्युनिकेशन  का ऐसा कोई प्रॉब्लम नहीं है |" मैंने कहा | 

वो बताने लगी " अभी पिछले हफ्ते एक टूरिस्ट आया था | अरब की किसी कंट्री का |  कहने लगा , उसे इंस्टूमेंट चाहिए | 

मैंने कहा , इंस्टूमेंट के लिए टूल्स एंड हार्डवेयर सेक्शन में चला जाए | 

"नो नो , नॉट दैट वन | "

वो थोड़ा परेशां हुआ | इधर उधर देखने लगा | 

फिर मेरे पास आकर फुसफसाया "एक्चुअली आय नीड इंस्ट्रूमेंट टू ओपन माय वाइफ !" 

मैंने इतने साल से कितने लोगो को सुना है , समझा है | पर उसकी बात सुनकर मैं कन्फूस हो गयी | 

और मैंने कहा "सॉरी , हमारे यहाँ ऐसा कोई इंस्टूमेंट नहीं है | "

वो अचंभित हुआ | कहने लगा "स्ट्रेंज , हाउ कम यू डोंट हैव | इन माय कंट्री आल बिग , आल स्माल शॉप्स हैव | "

मैंने कहा " सॉरी , हमारे यहाँ क्या , पूरे सिंगापुर के किसी भी स्टोर में ऐसा कोई इंस्टूमेंट नहीं है |"

हैरत से बड़ी बड़ी आँखे ले वह  झुंझला कर आगे बढ़ गया | 

स्टोर के कोने में एक बूढा मलय मूल का पुरुष पोंछा लगा रहा था  | टूरिस्ट उसके पास गया और कुछ समझाने लगा | मैं उनकी खुसपुसाहट नहीं सुन सकती थी | लेकिन जब बूढ़े क्लीनर ने अति उत्साह में हवा में हाथ उठाकर कहा "हनीमून हनीमून"  | तब जाकर मैं अरबी नबवयुवक की जरूरत को समझ पायी और मैंने सही सेल्फ की तरह उसे इशारे से भेजा | 

ठहाका लगाकर जब हमने साँस लिया तो मैंने कहा " लैंग्वेज बैरियर , कल्चर बैरियर , यू  नो |"

पर बूढी फार्मासिस्ट की राय थोड़ी अलहदा थी | 

कहने लगी " कई बार चीनी टूरिस्ट भी आते है | उन्हें लैंग्वेज का कोई बैरियर नहीं | मैं समझती हूँ | पिछले दिनों एक मेन लैंड चाइना का कोई टूरिस्ट था | कहने लगा " ग्लब्स चाहिए | आज ही की तरह उस दिन असिस्टेंट स्टोर में नहीं था , लिहाजा मैं ही सीढ़ी लगाकर सेनेटरी ग्लोब्स उतारने लगी | 

उस टूरिस्ट ने देखा तो बोला , "नहीं नहीं ये वाले नहीं | "

"बाथरूम ग्लब्स !"

मैंने समझाया , ये मल्टीपर्पज़ हैं , कुछ चुनिंदा ब्रांड चाहिए तो बताये , या फिर हाई क्वालिटी मेडिकल क्लास ग्लब्स दे दूँ ?

वो झुंझला गया।  मैंडरिन में बोला " नहीं नहीं ये वाले नहीं चाहिए , प्राइवेट ग्लब्स चाहिए|  "

प्राइवेट ग्लब्स , माय गॉड ! तब जाकर मैं समझी | और मैंने उसे सही सेल्फ पर भेजा | "


हाथ में पेरासिटामोल का पत्ता लिए बिलिंग काउंटर पर खड़ा मैं सोच रहा था कि दवा लूँ या ना लूँ , मेरा मूड बेहतर था , सिर दर्द रफूचक्कर हो चुका था |  


                                                        - सचिन कुमार गुर्जर 

                                                            सितम्बर ९, २०२४ , सिंगापुर द्वीप 


सोमवार, 17 जून 2024

सुकून का आखिरी दिन



आप अपने जीवन से संतुष्ट थे | अपनी औकात से वाकिफ | क्या साध्य है क्या आसाध्य इससे परिचित | इच्छाएं तिलांजित किये हुए | 

फिर कोई मिल गया | चढ़ते सूरज के साथ नहीं मिला | तब मिला जब सूरज दोपहर के बाद ढलान पर था |   वो मिला तो उसने बड़े प्यार से कहा "आप  बुद्दू हो , एकदम पागल |आपको  पता ही नहीं रहा कि आप  क्या हो | क्या डिसर्व  करते हो| "

उसकी बात आपको  जँची | थेरेपिस्ट , लाइफ कोच आपको समझाते रहे | सालो साल समझाते रहे | सेल्फ एस्टीम , सेल्फ बिलीफ , पॉजिटिव अफर्मेशन वगैरह वगैरह | पर आप हमेशा अपने को कम आंकते रहे | सबसे मृदुल रहे पर खुद को हमेशा कठोर नज़र से देखा | किसी की बात आपको मुतमईन न कर सकी | 

पर उसकी बात आपको जँची !

ब्रेकफास्ट , लंच , डिनर का हिसाब लिया जाने लगा | आप फ़ोन ना करो तो सामने वाला परेशां होता |  शिकायतों का अम्बार  लगता | आप असहज होते |  वो यूँ कि आपको इस कदर देखभाल की आदत कहाँ रही | एक माँ और नानी केअलावा  आपको कब किसने पुचकारा  | हाँसिये पर लटके जीने की आपकी आदत रही | बेगौरी में पला ,कतार  में खड़ा आखिरी आदमी | जिसने होने न होने से किसी को कोई फर्क नहीं  पड़ता | पर उसने आपको एहसास कराया के  आप कोई बेशकीमती नगीना हैं  , जिस पर नज़र रखना बेहद जरूरी है | पहली बार आपने उसकी नज़रो में , उसकी आवाज़ में,  आपको खो देने का डर देखा | 


और फिर आप बह गए | इस कदर बहे कि कह बैठे "सुनो , हम तुम्हारे बिना रह नहीं सकते | प्रेम है तुमसे , बेहद प्रेम !"

बस वो दिन आपकी जिंदगी के सुकून का आखिरी दिन था | 

शुक्रवार, 10 मई 2024

शुक्रवार की शाम

 


शुक्रवार की शाम का अपना एक दबाव  होता है | दबाव यह कि शाम जाया नहीं होनी चाहिये | और इसी के मद्देनज़र मैंने दो तीन दोस्तों को संदेशा भेजा है कि शाम को मिला जाए | ऑफिस की सीढियाँ उतरते हुए सोच रहा हूँ कि पी जाए या न पी जाये | 

अकेले पीने का कोई मूड नहीं है | बिना संगत पीना भी कोई पीना है  |फिर अभी पिछले हफ्ते अपने गृह प्रवास के दौरान मैंने ठीक ठाक मात्रा में 'ब्लैक डॉग' और  '१०० पाइपर्स' धकेली है |  हाँ या ना , बस इसी ऊहापोह  में रिवर फ्रंट की तरफ बढ़ा चला जा रहा हूँ | 

रैफल्स पैलेस जनपथ के साईडवॉक  पर एक गोरा खड़ा है , उम्र के गुलाबी सालों में है  | दो बीगल्स लिए है  | सफ़ेद , लाल , काले चक्क्ते वाले बीगल्स | उनके कान उनके मुँह से बालिश भर नीचे तक लटके है | 

मुझे बीगल्स औसत ही लगते है | लेकिन ट्रैन स्टेशन से रिवर फ्रंट को आती दो चीनी बालाओ से रहा नहीं जा रहा | "ओह्ह सो क्यूट सो क्यूट !" वे  ख़ुशी से उछल रहीं हैं | उनके दूधिया हाथ तालियाँ बजा रहे है | वैसे ही जैसे छोटे बच्चे अति उत्साह में बजाते हैं  | उनमे से एक गोरे से पूछती है कि क्या वो उन्हें छू ले |  'यस , स्योर ' गोरा इज़ाज़त दे देता है | 

यहाँ मुझमे थोड़ा बहुत कॉग्निटिव बायस हो सकता है  , पर आप शुक्रवार की शाम को, सिंगापुर के रिवरसाइड वाक  पर , कुत्तों के टहलाते जवान गोरे को कामदेव ही समझिये | जहाँ निशाना लगा तीर चला दे ,  बड़ी आसानी से खींच लेगा | सीमलेस , एफर्टलेस    ! 

सोच रहा हूँ , आदमी अगर सही जगह, सही जीन पूल में  पैदा हो जाये तो सब कुछ कितना सहज हो जाता है | कम से कम भौतिक स्तर पर तो हो ही जाता है |इसके इतर मेरे जंगल के आदमी को सब कुछ कमाना  होता है| नौकरी,  घर , गृहस्थ , बच्चो की पढाई , हेल्थ इंसोरेंस , माँ बाप का बुढ़ापा , गाढ़े दिनों के लिए कोई जमीन का एक्स्ट्रा प्लाट , बीवी के गहने और किस्मत हुई तो थोड़ा बहुत प्यार | सब कुछ परिश्रम से ही है | लाइफ अपहिल टास्क मोड में ही रहती है |  

उन कुत्तों से मुझे याद पड़ा है कि कॉर्पोरेट ऑफिस का पट्टा अभी तक मेरे गले में लटका हुआ है | मैं झुंझला कर उसे लैपटॉप बैग की साइड पॉकेट में सहेज रहा हूँ | मुझे कुत्ता होना मंजूर नहीं  | 

सच्ची? नहीं, मेरा मतलब है , ऐसा कुत्ता होना मंजूर नहीं जिसे घडी घडी दुत्कारा जाए | ऐसा नहीं, जिसकी दुम हमेशा मारे डर पिछवाड़ा ही ढाँपती  रहे | 

हाँ , ऐसा कुत्ता होने में मुझे कोई गुरेज नहीं जिसके गालों पर कोई हलकी सी थपकी देकर कहे "सो क्यूट !"

उम्र के साथ मुझमे सब कुछ सिकुड़ रहा है  | सिवाय मेरी नाक के | एक नाक है जो दिन प्रतिदिन , इंच दर इंच बढ़ती जा रही है | 

 फिलहाल ये नाक नदी किनारे कतारबद्ध बने रेस्टोरेंट्स के किचनस  तक जा रही है  | चिकन  विंग्स , चिकेन ब्रैस्ट स्ट्राइप्स विथ सोया सॉस, ग्रिल्ड सैमन , डीप फ्राइड प्रॉन , टर्टल सूप , रोस्टेड गूस , पैन स्टिर लॉबस्टर , ग्रेवी क्रैब | एक से एक एक्सोटिक फ़ूड आइटम्स | मेरे नथुने फूल रहे है | गला जेठ की दुपहरी में दरकी जमीन सा बिलबिला रहा है | पेट में ऐठन हैं | कॉर्टिलेस  की कमी से हर कदम के साथ घुटनों से टक टक की आवाज़ आ रही है | 

एक,  दो,  तीन,  चार, और  पांच | पाँचवे ओपन एरिया रेस्टोरेंट तक पहुंचते पहुंचते मेरे घुटने जबाब दे गए है |    

और सूखे गले से , नवयौवना वियतनामी वेट्रेस से मैं बमुश्किल इतना भर कह पाया हूँ  " वन कार्ल्सबर्ग प्लीज !" 


इंस्टूमेंट टू ओपन

"पेरासिटामोल " मैंने बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर के फार्मेसी सेक्शन में बैंठी  फार्मासिस्ट से इतना भर पूछा | और जबाब में उसने दायाँ हाथ...