भारत एक हाथी है और चीन ड्रैगन है|
जिसने भी ये रूपक गढ़े है , बड़े ही सटीक गढ़े है , दोनों की सीरत और नीयत को सही से नापते -भांपते |
दैत्य की फितरत है फुंकारना , दहशत फैलाना और बड़ा साम्राज्य खड़ा करना |
इधर हाथी के साथ दिक्कत ये है कि वो सुस्त रफ़्तार है |
उसके शरीर पर शिखा से धरा तक जोंक लिपटी हैं जो सुबह से शाम उसे चूसती हैं | और उसमे उतना भर खून छोड़ती हैं कि प्राणी जीवित रहे बस , ताकि अगले दिन फिर से चूसा जा सके | परजीवियों का आंकलन आपके विवेक पर छोड़ता हूँ |
रात काफी देर से सोया | झुंझलाहट , निराशा , गुस्सा , इन्ही में उतरता डूबता रहा |
सोचता रहा , मुझे क्या दिक्कत है और जितनी सूक्ष्म मेरी हस्ती है , उसमे मैं क्या बना बिगाड़ सकता हूँ |
बेहतर लोग , बड़े काबिल लोग जिम्मेदारियां संभाले है , जो उनका मुतक़बिल , वही मेरामुस्तकबिल |
लगा मनोविकार है ये शायद , एक ही बात को बार बार घुमाते जाना , लाचार महसूस करना |
सोचा कि उम्र का वो पड़ाव आ चूका है जहाँ मन में आनंद कम , चिंता की गर्द ही ज्यादा उड़ती है |
फिर एक विचार ये भी आया कि मैं ही नहीं हूँ | औसत भारतीय के कलेक्टिव कॉन्ससियसनेस्स में ये बात है कि महान न सही पर ये देश रसूख के उस पायदान पर खड़े होने का हकदार जरूर है कि कोई भी यूँ ही बाँह मरोड़ के चलता न बने |
"बलिदान बेकार नहीं जाएगा ", "अखंडता पर आंच नहीं आने देंगे" , "हम सक्षम है " वगैहरा वगैहरा |
पता नहीं क्यों मुझे ये सब खोखला जिनगोइज़म लगता है | मुआफ कीजियेगा , मेरी फितरत का झुकाव नकारात्मक रहता है शायद |
चीन ने , जिनका सोशल मीडिया पर कुछ दीवाने 'डेढ़ फुटिया ' या नकली सामान के सौदागर कह मज़ाक उड़ाते है , बड़े डिफ्रेंशिअल खड़े कर दिए हैं | बड़े मतलब बहुत बड़े |
इतने बड़े कि बीस जवानों के शहीद हो जाने पर जहाँ हमारे जनमानस में , मीडिया में , सत्ता के गलियारों में गुस्सा , चिंता, ढृढ़ता , 'हम एक है ' , हर तरह की भावनाओ का स्वाभाविक सैलाव है , हमारे अखबार , न्यूज़ पोर्टल बड़े बड़े आर्टिकल्स से भरे पड़े है , वही चीनी मीडिया में कही दूसरी तो कहीं चौथी वरीयता की खबर बनी है |
आप कह सकते है कि प्रोपेगंडा है , जान बूझ कर हमे कम आंकने का , खुद को बड़ा समझने का | लेकिन जब इतने बड़े टकराव को भी कोई देश 'अमरीका में प्रेस फ्रीडम ' और 'चीन की अफ्रीका को ऐड' जैसी खबरों के समतुल्य रखे तो आप मानिये सामने वालो के दाँव खेल बड़े हैं |
हाँ , आपकी तरह मुझे भी भरोसा है कि जो होगा सर्वहित में होगा | परिस्थितियाँ जितनी गुंजाइश देंगी , हमारा नेतृत्व उस हद तक देश हित में एकजुट हो प्रदर्शन करेगा |
पर मायोपिआ से बचिए | हमारे नवरत्न HAL द्वारा सालों की मशक्कत के बाद विकसित 'तेजस' की तुलना चीनी J -15 या J -२० से कर क्षमताओ का आंकलन कीजिये !
डिफ्रेंशिअल कम कीजिये , आज नहीं , अगले 10 साल में , २० साल में |
जोंक हटाइये और हाथी को मदमस्त हो आगे बढ़ने की परिस्थतियाँ पैदा कीजिये | हमारे लिए न सही, बच्चो के बेहतर भविष्य के लिए | कुछ ठोस कीजिए सरकार , कुछ ठोस कीजिये |
शहीदों को श्रद्धांजलि , उनका कर्जमंद
सचिन कुमार गुर्जर
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