अरसे बाद ऐसा हुआ था कि छुटकी , बड़े राजकुमार से पहले सो गयी थी |
साहब मेरी बगल में लेटे सोने की तैयारी में थे |
लगा , ग़लतफहमी दूर करने का सही वक़्त है , लिहाजा मेरी तरफ से कोशिश हुई !
बालों में हाथ फिराया और जितना दुलार उड़ेल सकता था , सब उड़ेल कर बोला " बेटा ध्रुव , भूमि छोटी है ना , अभी नासमझ है , इसीलिए हम उस पर ज्यादा ध्यान देते है |
ऐसा मत सोचा करो यार , कि पापा तुम्हे कम प्यार करते है !"
लगा , थोड़ा मक्खन लगा दिया जाए ! अति उत्साह में ये भी बोल बैठा " देखो बेटा , सच तो ये है कि पापा तुम्हे 'भूमि ' की तुलना में ज्यादा प्यार करते है !"
तपाक से जबाब मिला " पापा , मैं आपका बेटा हूँ ना और भूमि आपकी बेटी "
"हाँ , सही बात "
"फिर आपको दोनों को बराबर प्यार करना चईये , किसी को भी कम नइ "
स्तब्ध ! मुँह से हम्म्म ही निकला |
खैर , बातचीत आगे बढ़ी तो साहब ने मोबाइल स्क्रीन से नजर हटा कर फ़रमाया " पापा आप मेरे लिए ऐसा रोबोट बना सकते हो??
मैं कुछ जबाब सोचता , उससे पहले ही रसोई से बैकअप आ गया " पापा उस तरह के इंजीनियर नहीं है बेटा "
"अच्छा , लेकिन इन्होने प्रॉमिस किया था कि नया मोबाइल गेम खुद से बना देंगे , जिसमें मैं हीरो होऊंगा ,वो भी तो नहीं बनाया !"
फिर मेरी तरफ निगाह किये बिना , मोबाइल में ताकते ताकते ही "आप किस तरह के इंजिनीयर हैं , पापा ?"
हम खुली छत पर लेटे थे, अचानक से मुझे आसमान में खिले तारे बड़े प्यारे से लगने लगे , बड़े अरसे बाद देख रहा था !
तारों की पहली परत को चीर मेरी नजर दूसरी परत पर पहुँच गयी , छटा सम्मोहित करने वाली थी , पर फिर भी मन में विचार आ ही गया " आखिर , मैं हूँ किस तरह का इंजिनीयर | अगर इंजिनीयर नहीं तो और क्या "
अचानक से नींद मुझ पर हावी हो रही थी और मैं बिना वक़्त ही नींद के आगोश में उतर रहा था !
सचिन कुमार गुर्जर
18-Aug- 2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें -