शाम को ऑफिस के सामने , दोस्त के साथ चाय की चुस्कियाँ ले रहा था । सामने एक गुलाब की एक छोटी सी दूकान सजी थी ।
'पता है , पचास डॉलर का एक बिक रहा है अभी से !" दोस्त ने ज्ञान दर्शन कराते हुए बतलाया ।
बिक रहा होगा , अचम्भा मत कीजियेगा ! नार्मल है ।
कितना फासला है न दुनिया में वैसे । ..
एक तरफ महंगा, कतार में लग मुश्किल से हासिल, सेंटेड गुलाब लगेगा , कैंडल लाइट डिनर और भी अलाना फलाना , न जाने क्या क्या पैम्परिंग ।
दूसरी ओर वो भी एक दुनिया है जहाँ शाम को काम से थका हारा लौटा मानुस बेसन में सने दो उबले, तले अंडे और एक आध किलो भर अंगूर ले आये तो उसारे में रोटी पिरोती पत्नी समझ जाती है कि आज वैलेंटाइन डे मनेगा !
हा हा हा ! यकीन मानिये , सच्ची ! बसती है ऐसी दुनिया भी , इसी धरती पर !
युगो युगांतर पहले एक बार हम भी लग बैठे थे इज़हारे इश्क़ की कतार में । कतार लम्बी थी , नंबर आने से पहले ही दिमाग पलट गया । साला लॉजिक समझ नहीं आया !
फिर शाम को ऑफिस से लौटते हुए पास के पार्क से एक अच्छा सा फूल चोरी छुपे तोड़ लिया और प्रेयसि , मेरा मतलब के पत्नी को थमा पूरी आत्मा के साथ बालों में हाथ फिरा के बोला " सुनो , जान बसती है तुममे हमारी , अपना ख्याल रखा करो! "
अब वो इम्पैक्ट क्रिएट हुआ कि नहीं ये तो राम जाने या प्राणप्रिये , पर हमारा समर्पण पूरा था , पूरी शिद्दत वाला , दिल की गहराईओं वाला !
वैसे 15 फरबरी को जब गुलाब सस्ता हो जाए तब दिया जाए तब वो असर रहेगा या नहीं । हुँह ?
हम्म , शायद नहीं । वो प्यार प्यार ही क्या जो साला या तो छित्तर ना पड़वाए या फिर जेब में छेद न करे ! क्यों ?
प्यार दुर्लभता में है , प्रचुरता में जो हो वो प्यार नहीं रहता । रिश्ता बन जाता है शायद । है कि नहीं !
इस कथन को अपने हिसाब से तोलियेगा ! हो सकता है आपकी प्रचुरता प्रेम की चासिनी में डूबी हो , गाढ़ी हो :)
पर ये तो है कि १४ फरबरी एक दुर्लभता तो पैदा करती ही है । एक होड़ सी मच जाती है । एक माहौल सा बन जाता है । और प्यार में माहौल के बड़े मायने है । है कि नहीं ?
सुनो , ले ही लीजिये आप एक गुलाब । पैसा क्या है , हाथ का मैल है , आता जाता रहता है । बालो में हाथ फिरा बिना खर्च किये 'प्राण बसते है...... " वाला डायलॉग बैकफायर भी कर सकता है । अपने हिसाब से प्लान कीजियेगा , प्लीज !
शरारती हो रहा है मन अपना भी वैसे ! फरबरी में कुछ तो है ! माहौल का संक्रमण है शायद !
बहते रहो और बहाते रहो ! ......
प्यार वे, और क्या :)
हा हा हा । सही पकडे हो !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें -