शनिवार, 7 जून 2014

मेहनत के फूल


मार्च में दिल्ली के  पूसा कृषि अनुसंधान केंद्र जाने का अवसर प्राप्त हुआ था । वापसी में वहाँ  से कुछ फूल पौधों के बीज लाया था जो घर की छत पर सीमेंट के खाली बोरो में  रोपित कर दिए थे । 

फिर कार्यवश बाहर गाँव आ गया तो उन पौधो की सुध न रही ।
आज छोटे भाई ने जब उन रंग बिरंगे फूलो से लधे पौधो के फोटो भेजे तो हृदय गदगद हुआ । तीन महीने में पौधे तैयार होकर अपनी जवानी में है ।

इससे भी ज्यादा ख़ुशी की बात ये है , पिता के मज़बूरी वश  बाहर जाने की दशा में पुत्र ने अपनी जिम्मेदारी को न सिर्फ समझा बल्कि बखूबी निभाया भी ।आप खुद ही देखे, उत्तर भारत की भीषण गर्मी में कैसे नंगे बदन अपने कर्त्तव्य का निर्वाहन किया गया । 

बालक ध्रुव की मेहनत से खिले फूलो का रंग गहरा और चटक है !





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