मार्च में दिल्ली के पूसा कृषि अनुसंधान केंद्र जाने का अवसर प्राप्त हुआ था । वापसी में वहाँ से कुछ फूल पौधों के बीज लाया था जो घर की छत पर सीमेंट के खाली बोरो में रोपित कर दिए थे ।
फिर कार्यवश बाहर गाँव आ गया तो उन पौधो की सुध न रही ।
आज छोटे भाई ने जब उन रंग बिरंगे फूलो से लधे पौधो के फोटो भेजे तो हृदय गदगद हुआ । तीन महीने में पौधे तैयार होकर अपनी जवानी में है ।
इससे भी ज्यादा ख़ुशी की बात ये है , पिता के मज़बूरी वश बाहर जाने की दशा में पुत्र ने अपनी जिम्मेदारी को न सिर्फ समझा बल्कि बखूबी निभाया भी ।आप खुद ही देखे, उत्तर भारत की भीषण गर्मी में कैसे नंगे बदन अपने कर्त्तव्य का निर्वाहन किया गया ।
बालक ध्रुव की मेहनत से खिले फूलो का रंग गहरा और चटक है !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें -