सिंगापुर आये मुझे एक हफ्ते से ऊपर हो चला है | अभी नयी दुनिया के तौर तरीको को समझने की कोशिश
चल रही है | चारो तरफ ऊँची ऊँची गगनचुम्बी अत्त्तालिकाएं ,करीने से सजाये पार्क,साफ़ चिकनी सडको पर हुंकारती महंगी गाड़िया |
मायानगरी है सिंगापुर | भांति भांति के लोग .. चीनी , मलय,तमिल ,श्रीलंकन ,अंग्रेज़ |
हर कोई अपने सपनो को सवारने में लगा है |
सिंगापुर की छटा मनमोहक है | हालाँकि मुझ जैसे प्रकर्ति प्रेमी को थोड़ी सी हताशा भी होती है| कुछ भी प्राकर्तिक नहीं |
इंसानी छेडछाड साफ़ दिख जाती है...बीच नकली है ,बीच पे बिखरी सफ़ेद रेत मलेसिया से लाकर बिछाई गयी है ..
कतारबद्ध खड़े नारियल के पेड़ भी वही से लाकर प्रत्यारोपित किये गये है |
बिजली , पानी,घास , मिट्टी सब कुछ मलेसिया से आयातित ...|
यहाँ आकर जिंदगी इंसानी कायदे कानूनों में बंध जाती है..नियम तोड़ने पे भारी भरकम जुरमाना ...
अगर आप भारत की तरह उन्मुक्त जीवन जीने के आदी है ..जहा आप जब मने करे ,भाग के सड़क पार कर सकते है ,खुलेआम सार्वजनिक स्थानों पे धुएं के छल्ले उडा सकते है ..कुछ भी गलती करने पर पुलिस वालो को १०० रुपए देकर छुट सकते है...तो यहाँ आकर आपको हताशा होगी ....घुटन होगी...
सिंगापुर सभ्रांत लोगो के लिए है | आबादी का बड़ा हिस्सा चीनी लोग है ..सो आम जनजीवन पे चीनी रीतोरिवाज़ की गहरी छाप है ..
मैंने यहाँ के चीनी लोगो के बारे में कुछ अध्ययन किया है...
१. चीनी मूल की लोगो के घने काले बाल है और भारतीय मूल के लोगो की तुलना में कम लोग ही गंजे होते है..
शायद इसका रहस्य उनके भोजन चयन में छिपा है ...चीनी मूल के लोग sea food पे ही पलते बढ़ते है .
२. चीनी लोगो का फिटनेस लेवल भी भारतीयों से अच्छा है ..बहुत ही कम लोग तोंदीले है...
३. भारतीयों की तरह इनका जुगाड़ तकनीकी पे भरोसा कम ही है..जहा भारतीय मूल के लोग बस किसी तरह काम निपटाने में भरोसा रखते है ..चीनी मूल के लोग काम को बने बनाये तौर तरीको से करने में ही यकीन करते है..
हालाँकि जनजीवन पे भारतीय मूल के छाप भी दिख जाती है ..little india , mustafa जैसी जगह आपको काफी हद तक भारत में होने का अहसास कराती है..
कुल मिला के जगह रोचक है...कोशिश कर रहा हू कि कुछ अच्छे ,समान विचारो के कुछ दोस्त बना पाऊ...
देखते है आगे जीवनयापन कैसा होता है..
क्रमश...................
शनिवार, 8 मई 2010
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