प्यार की तासीर उतावलेपन की होती है । नतीजन, वो नया प्रेमी गैरआराम था । उसकी उँगलियाँ उसके वाइड स्क्रीन फ़ोन पर बेचैन सी नाच रहीं थी । आँखे कुछ टोह रही थी , इंतज़ार था उन्हें किसी का शायद !
अच्छे खासे अरसे उल्लू की तरह स्क्रीन को घूरने के बाद प्रेमी की आँखे चमकी और उसने बड़ी वाली स्माइल देकर बोला " सुनो जानू , आई लव यू , आई मिस यू . "
जबाब आया " ह्म्म्म "
नपा तुला ह्म्म्म , हाँ बस इतना ही !
प्रेमी का चेहरा मुस्कान से दर्द में कुछ ऐसी फुर्ती से बदला जैसे खिलते लहलहाते हुए छुईमुई के पौधे को कोई झंकझोर गया हो।
उदास मन शांत हो गया । निशब्द, अवसादग्रस्त वाला शांत ।
किसी भी गंभीर प्रेमिका की तरह वो प्रेयसी भी सब कुछ सह सकती थी पर सन्नाटा नहीं !
सो उससे रहा ना गया और उसने बोला " बोलो भी कुछ "
प्रेमी बहुत कुछ कहना चाहता था , पर ये जो प्रेम होता है ना , इसकी विधा नाटक माँगती है , सो उसने कहा " कुछ नहीं , बस ऐसे ही , मूड थोड़ा उखड़ा हुआ है आज । "
सर्वज्ञात है पर फिर भी बताने योग्य है कि स्त्री पुरुष प्रेम में स्त्री की भावनाएं ज्यादा सूक्ष्म होती है , वो अपने प्रेमी के 'हेलो ' कहने के आधार पर ही उसका मूड भांप सकती है !
सो उम्मीद के मुताबिक प्रेयसी ने प्रेमी को कुरेदा " क्यों बेबी , क्यों ? हुआ क्या है ?
बोलो , क्या चल रहा है दिमाग में ? जल्दी बोलो "
प्रेमी मानसून के बादल सा फटने के इंतेज़ार में ही था " सुनो , रात तुम पूरे 25 मिनट तक व्हाट्सएप्प पर ऑनलाइन थी ? पर एक भी मैसेज किया ?"
"ओह्हो ,बात की तो थी ?"
"हाँ , पर वो तब , जब मैंने मैसेज किया ।"
प्रेमी यही नहीं रुका " तुम सुबह 6 बजे भी पूरे 8 मिनट ऑनलाइन थी , पर एक भी मैसेज नहीं किया । "
प्रेयसी को अपनी बारी का इंतज़ार था और उसका जबाब तैयार था " यार , तुम्हे मैं कैसे यकीन दिलाऊ कि बस एक तुम ही हो , और कोई नहीं । दूर दूर तक भी नहीं ।
क्या करूँ मैं ऐसा यार , दिल चीर के दिखाऊ अब । तब मानोगे ? "
प्रेयसी समस्या का त्वरित समाधान चाहती थी " सुनो , मैं सच कह रही हूँ , मैं व्हाट्सएप्प डिलीट किये देती हूँ । ठीक है? तब तो तुम आराम से , बेफिक्र रह सकोगे ना ? बोलो ? "
बोलो ना माय सोना , क्या मैं आपके लिए इतना सैक्रिफाइस नहीं सकती ?
बोलो तो एक बार। "
प्रेमी का गुस्सा और उसकी शिकायत दोनों उथले ही थे । पल भर में भाप हो गए । पेशकश ने उसे कसमकश में डाल दिया ।
दिल पिंघल गया । क्षण भर में उसके चेहरे पे प्यार और पछतावा उभर आया ।
" नहीं नहीं , व्हाट्सएप्प डिलीट मत करना पागल ।
मैं.... मैं तो बस ऐसे ही । बहुत चाहता हूँ तुम्हे यार ।
समझता हूँ । पर यू नो , होता है प्यार कभी कभी पोसेसिव हो जाता है ।सॉरी बेबी , सॉरी मेरी कुच्ची पुच्ची !"
प्रेमी अब आराम में था, प्यार बेफिक्र था । वो मज़बूत दिल था पर प्रेयसी के समर्पण और व्हाट्सएप्प तक उड़ा डालने की पेशकश से उसकी आँख में छोटा सा आँसू उतर आया था !
---सचिन कुमार गुर्जर
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