"पेरासिटामोल " चाइना टाउन ट्रेन स्टेशन से फर्लांग भर की दूरी पर बने बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर के फार्मेसी सेक्शन में बैंठी फार्मासिस्ट से इतना भर पूछा | और जबाब में उसने दायाँ हाथ हवा में उठाया , एक आधा चंदा बनाया , उसके बाद फिर दूसरा आधा चंदा | माने , दो सेल्फ लेन कूद कर तीसरी में चले जाओ |मुझे कोई 'लो डोज़' , जेनेरिक सी टेबलेट का छोटे से छोटा पैकेट चाहिए था | बताये गए सेल्फ में सब जम्बो पैक ही दिखे सो मैं खुद ही घूम कर दूसरे सेल्फ स्कैन करने लगा | दो बार चक्कर काट जब मैं तीसरी मर्तबा फार्मासिस्ट के आगे से गुजरा तो वह अपनी चेयर छोड़ मेरे पास चली आयी | चीनी मूल की कृशकाय महिला थी , मोटा चश्मा लगाए| औसत से लम्बी, पीत वर्ण , पचपन से साठ के बीच की रही होगी |
"तुम्हे पैरासिटामॉल ही चाहिए न या कुछ और ?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा |
"नहीं , कुछ और तो नहीं | चाहिए होगा तो मैं मांग लूँगा " मैंने विनम्रता से जबाब दिया |
मुझे उसका इस तरह से 'कुछ और' पूछना थोड़ा अजीब लगा था | और उस अजीब लगने की फीलिंग को वह अनुभवी महिला शायद समझ गयी |
समझाने लगी : "स्टोर में तरह तरह के कस्टमर आते है | बहुत से टूरिस्ट होते है | टूरिस्ट जो अपनी बात कह नहीं पाते | "
" मैं समझ सकता हूँ | मुझे कम्युनिकेशन का ऐसा कोई प्रॉब्लम नहीं है |" मैंने नरमी के साथ कहा |
लेकिन उसके पास इससे भी आगे बताने को था |
बोली " अभी पिछले हफ्ते एक टूरिस्ट आया था | अरब की किसी कंट्री का | कहने लगा , उसे इंस्टूमेंट चाहिए |
मैंने कहा , इंस्टूमेंट के लिए टूल्स एंड हार्डवेयर सेक्शन में चला जाए |
वह थोड़ा परेशान हो बोलै "नो नो , नॉट दैट वन | "
फिर मेरे पास आकर फुसफसाया "एक्चुअली आय नीड इंस्ट्रूमेंट टू ओपन माय वाइफ !"
मैंने इतने साल से कितने लोगो को सुना है , समझा है | पर उसकी बात सुनकर मैं चकरा ही गयी |
और मैंने धीरे से एक एक शब्द साफ साफ़ बोल उसे समझाया : "सॉरी , हमारे यहाँ ऐसा कोई इंस्टूमेंट नहीं है | "
टूरिस्ट अचंभित हुआ | कहने लगा "स्ट्रेंज , हाउ कम यू डोंट हैव | इन माय कंट्री आल बिग , आल स्माल शॉप्स हैव | "
मैंने कहा " सॉरी , हमारे यहाँ क्या , पूरे सिंगापुर के किसी भी स्टोर में ऐसा कोई इंस्टूमेंट नहीं है |"
हैरत से बड़ी बड़ी आँखे ले वह झुंझला कर आगे बढ़ गया |
स्टोर के कोने में एक बूढा मलय मूल का पुरुष पोंछा लगा रहा था | टूरिस्ट उसके पास गया और कुछ समझाने लगा | मैं उनकी खुसपुसाहट नहीं सुन सकती थी | लेकिन जब क्लीनर ने अति उत्साह में हवा में हाथ उठाकर कहा "हनीमून हनीमून!" , तब जाकर मैं अरबी नवयुवक की जरूरत को समझ पायी और मैंने उसे सही सेल्फ की तरफ इशारे से भेजा |
ठहाका लगाकर जब हमने साँस ली तो मैंने कहा " लैंग्वेज बैरियर , कल्चर बैरियर , यू नो |"
पर बूढी फार्मासिस्ट की राय थोड़ी अलहदा थी |
कहने लगी " कई बार चीनी टूरिस्ट भी आते है | उन्हें लैंग्वेज का कोई बैरियर नहीं | पिछले दिनों एक मेन लैंड चाइना का कोई टूरिस्ट था | कहने लगा " ग्लब्स चाहिए | आज ही की तरह उस दिन असिस्टेंट स्टोर में नहीं था , लिहाजा मैं ही सीढ़ी लगाकर सेनेटरी ग्लोब्स उतारने लगी |
उस टूरिस्ट ने देखा तो बोला , "नहीं नहीं ये वाले नहीं | "
"बाथरूम ग्लब्स !"
मैंने समझाया , ये मल्टीपर्पज़ हैं , कुछ चुनिंदा ब्रांड चाहिए तो बताये , या फिर हाई क्वालिटी मेडिकल क्लास ग्लब्स दे दूँ ?
वह झुंझला गया। मैंडरिन में बोला " नहीं नहीं ये वाले नहीं चाहिए , प्राइवेट ग्लब्स चाहिए| "
प्राइवेट ग्लब्स , माय गॉड ! तब जाकर मैं समझी | और मैंने उसे सही सेल्फ पर भेजा | "
हाथ में पेरासिटामोल का पत्ता लिए बिलिंग काउंटर पर खड़ा मैं सोच रहा था कि दवा लूँ या ना लूँ |
फार्मासिस्ट की बातों से ही मेरा सिरदर्द रफूचक्कर हो चुका था |
- सचिन कुमार गुर्जर
सितम्बर ९, २०२४ , सिंगापुर द्वीप