सिंगापुर सुविधाओं , व्यवस्थाओं का शहर है | सरकार आमजन की छोटी छोटी जरूरतों का ख्याल रखती है | फेरिस्त लम्बी है , हम और आप महीनो जिक्र कर सकते हैं | एक छोटी सी पर हर कम्युनिटी पार्क में दिखने वाली व्यवस्था है , एक्यूप्रेशर बेल्ट |
फ्लॉवर बेड के सहारे या ग्रास लॉन के किनारे आठ दस मीटर की संकरी कंक्रीट फ्लोर होती है | जिस पर नुकीले पैबल्स को बड़ी सघन बसाबट में जमा दिया जाता है | किनारे से , चलते हुए सहारा लेने के लिए पॉलिशड स्टील की रेलिंग गाढ़ दी जाती है | मान्यता ही है या विज्ञान भी , मुझे नहीं पता , पर ऐसा बोला जाता है कि इस तरह की एक्यूप्रेशर बेल्ट पर सुबह सुबह नंगे पैर चलने से रक्तचाप नियंत्रित होता है |
मैं सोमवार से शुक्रवार साढ़े आठ बजे उठने को शरीर घसीटता हूँ , लेकिन शनिवार को सात बजे आँख खुल जाती है | झुंझलाहट होती है , देर तक सोना चाहता हूँ ,पर ये मेरे बुढ़ाते शरीर की व्यवस्था है | जो है सो है , मॉड में रहकर स्वीकार करता हूँ |
सुबह मैं कम्युनिटी पार्क के चक्कर काट रहा था तो पाया कि एक अधेड़ भारतीय स्त्री एक्यूप्रेशर बेल्ट के मुहाने पर नंगे पाँव खड़ी है | एक हाथ में ताँवे का लोटा, लोटा जिसकी गर्दन पर मोटा गेरुआ सूती धागा लिपटा था |
उसने दाए हाथ में लोटा उठाए , एक्यूप्रेशर बेल्ट का एक चक्कर पूरा किया | नुकीले पेवल्स की चुभन से चेहरे पर दर्द उभर आया था | दूसरे सिरे पर पहुंची तो कुछ देर ठिठकी | वापस मुड़ी और फिर उसी दृढ़ता से दूसरा चक्कर पूरा किया | फिर तीसरा और चौथा |
फिर एक लैम्पपोस्ट के सिरहाने खड़ी हो गयी | चांगी राइज अपार्टमेंट बिल्डिंग के ऊपर सूरज बस ऊगा ही था | उँगलियों के गुलदस्ते में फँसे लौटें को उसने सूरज की ओर उठा दिया | काँपते होठों से कुछ बुबुदाते हुए , उसने लोटे में जमा जल की आखिरी बूंद तक सूर्य को अर्पित की और बड़े तेज कदमों से अपने अपार्टमेंट में लौट गयी |
दूसरे सिरे पर बनी बेंच पर जम चुका मैं मुस्कुराया तो मेरा दायाँ हाथ अकस्मात आशीर्वाद की मुद्रा में खड़ा हो गया | सूर्य देवता अगर अपने भक्तो पर तबज्जो देते होंगे तो मुस्कुराये वे भी होंगे | अजी ,सुबह उठकर जल चढाने वाले बहुत है | लेकिन पार्क में बनी एक्यूप्रेशर बेल्ट के चार कष्टप्रद चक्कर काट अर्घ चढाने वाला शायद कोई विरला भी ना हो |
उस स्त्री के १० में से १० नंबर बनते है !
सचिन कुमार गुर्जर
मेलविल पार्क , सिंगापुर
१६ सितम्बर , २०२३